लाहौर में घुसकर टैंक उड़ाने वाले फौजी को किया गया सम्मानित
- By NewsOnFloor Staff
- Aug 16, 2019
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जसपुर। सन् १९६५ में भारत पाक युद्व में लाहौर में घुसकर टैंक उड़ाने वाले लांस दफेदार हरजीत सिंह का तहसीलदार एवं अन्य नागरिकों ने घर जाकर सम्मानित किया। इस दौरान लोगों ने हरजीत सिंह शोर्य गाथा भी सुनी।
स्वतंत्रता दिवस पर ग्राम मलपुरी निवासी हरजीत सिंह (८४) के घर पहुंचे तहसीलदार जोगा सिंह, अधिवक्ता दिग्विजय सिंह, रविश जैन, ग्राम प्रधान पति सरफराज, अशोक सिददू आदि ने हरजीत सिंह एवं उनकी पत्नी को अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया। इस दौरान लोगों ने सन् १९६५ की लड़ाई के संस्मरण भी हरतीत सिंह से सुने। बताया कि लड़ाई दौरान जब वह टैंक से हाथ उपर कर निकल रहे थे। तभी आये एक राकेट ने उनके दोनो हाथ उड़ा दिए। हाथ उड़ने के बाद हरजीत सिंह की हिम्मत कम नहीं हुई।
उन्होंने टैंक के चालक को बुलाया। सहारा लेकर एक किमी दूर अस्पताल पहुंचे। इस दौरान उनके दोनो हाथ एक खाल के सहारे लटक रहे थे। उन्होंने हाथों को पैरों के नीचे रखकर शरीर से अलग कर दिया। राष्ट्रपति के सचिव ने उन्हे प्रमाण पत्र दिया था। उनकी रेजीमेंट के सेनिक उनकी खैरियत पूछने का आते रहते है।
हाथ कटे, लेकिन फख्र महसूस करते है हरजीत
जसपुर। युद्व के दौरान हाथ कटने से हरजीत सिंह का सेना के प्रति प्यार कम नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि उनके हाथ ही कटे है। वह देश के लिए जान भी देने को तैयार थे। उन्होंने बताया कि उन्हे हाथ कटने का कभी दुख नहीं, बल्कि उन्हे यह फख्र होता है कि उनके हाथ देश के काम आ गए।
स्वतंत्रता दिवस पर ग्राम मलपुरी निवासी हरजीत सिंह (८४) के घर पहुंचे तहसीलदार जोगा सिंह, अधिवक्ता दिग्विजय सिंह, रविश जैन, ग्राम प्रधान पति सरफराज, अशोक सिददू आदि ने हरजीत सिंह एवं उनकी पत्नी को अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया। इस दौरान लोगों ने सन् १९६५ की लड़ाई के संस्मरण भी हरतीत सिंह से सुने। बताया कि लड़ाई दौरान जब वह टैंक से हाथ उपर कर निकल रहे थे। तभी आये एक राकेट ने उनके दोनो हाथ उड़ा दिए। हाथ उड़ने के बाद हरजीत सिंह की हिम्मत कम नहीं हुई।
उन्होंने टैंक के चालक को बुलाया। सहारा लेकर एक किमी दूर अस्पताल पहुंचे। इस दौरान उनके दोनो हाथ एक खाल के सहारे लटक रहे थे। उन्होंने हाथों को पैरों के नीचे रखकर शरीर से अलग कर दिया। राष्ट्रपति के सचिव ने उन्हे प्रमाण पत्र दिया था। उनकी रेजीमेंट के सेनिक उनकी खैरियत पूछने का आते रहते है।
हाथ कटे, लेकिन फख्र महसूस करते है हरजीत
जसपुर। युद्व के दौरान हाथ कटने से हरजीत सिंह का सेना के प्रति प्यार कम नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि उनके हाथ ही कटे है। वह देश के लिए जान भी देने को तैयार थे। उन्होंने बताया कि उन्हे हाथ कटने का कभी दुख नहीं, बल्कि उन्हे यह फख्र होता है कि उनके हाथ देश के काम आ गए।
Source : upuklive